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"Famous Five Monkeys Experiment"
















जागरूकता की ओर
"एक सीधी बात "
प्रस्तावना 
मेरा नाम नीरज है और मेरी उम्र ४० साल है। मै एक एच आर कंसलटेंट हूँ और मै बड़ी बड़ी कंपनियों के लिए पेशेवर कर्मचारी ढूंढ़ता हूँ। कई महीनो से मै ये काम अपने घर से कर रहा हूँ। घर पर ही ज्यादा समय रहने की वजह से मुझे अकेले में सोचने और समझने का वक्त मिला। 

मुझे महसूस हुआ कि ज्यादातर लोग अपनी अपनी निजी ज़िन्दगी में इतने व्यस्त है कि उनके पास अकेले में सोचने और समझने का वक्त ही नहीं है। बस जिए जा रहे है, वक्त के साथ भागते जा रहे है, बिना सोचे बिना समझे। सुबह होते ही दौड़ शुरु हो जाती है, पुरुष बाहर जाने के लिए तैयार होते है और महिलाएं घर के काम में जुट जाती है। फिर दोपहर होती है, खाना खाया जाता है और कुछ गप्पे लड़ाई जाती है। फिर बढ़ते हुए खर्चो, महंगाई और ज़िन्दगी में चल रही परेशानी के विचार सर में घूमने लगते है, जो रुकने का नाम नही लेते। इस तनाव के साथ फिर काम में जुट जाते है। शाम होती है, घर लौटते है, चाय पीते है या दो पैग लगाये जाते है, खाना खाते है, फिर थक कर सो जाते है। इसी तरह महिलाये भी सारा दिन घर के काम, बच्चो की देखभाल और तनाव में व्यस्त रहती है और रात को एक अच्छे कल की उम्मीद लेकर सो जाती है। 

भारत में लगभग ७० प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे या उसके आस पास है। उनमे से अधिकतर की ज़िन्दगी की कश्मकश है: "अपना घर, एक गाड़ी और बच्चो का उज्जवल भविष्य"। जिसके लिए उनकी पूरी ज़िन्दगी लग जाती है और इससे पहले की वो कुछ सोच पाये या समझ पाये, ज़िन्दगी का समय पूरा हो जाता है।

यह सब जैसे ही मुझे आभास हुआ, मैंने निश्चय कर लिया की मै इस कुदरत की देन, जिसे हम ज़िन्दगी कहते है ऐसे ज़ाया नही होने दूंगा। सबसे पहला कदम है जागरूकता। मैंने जागरूकता को तीन अध्याय में बाँट दिया:

१. ब्रह्मांड जागरूकता 
२. आत्म जागरूकता 
३. सामाजिक जागरूकता 


सूची 
ब्रह्मांड जागरूकता:

* सूरज क्या है?
* चाँद क्या है?
* तारे क्या है?
* आसमान क्या है?
* पृथ्वी क्या है?
* अंतरिक्ष क्या है?
* रात और दिन क्या है?
* हम किस चीज़ के बने है?
* ऊर्जा क्या है?

आत्म जागरूकता 

* शरीर 
* समय 
* मन 
* बुद्धि 
* आत्मा 

सामाजिक जागरूकता 

* सामाज क्या है?
सामाज की रचना क्यों हुई?
* सामाज के नियम किसने बनाये?
* क्या वर्तमान सामाज में बदलाव संभव है?


अध्याय "ब्रह्मांड जागरूकता"

श्रिष्टि कैसे बनी इसकी बहुत सी परिकल्पनाय है। लेकिन सच क्या है, यह कोई नहीं जानता। मै उतना ही बता सकता हूँ जितना हम अभी तक जान पाये है।
सूर्य एक तारा है, जो हाइड्रोजन गैस से बना है। इस गैस के अणु के आपस में विलय की वजह से यह एक बहुत ही बड़ा आग का गोला बना है। इसकी उम्र लगभग ४.६ अरब साल है और यह इतने ही साल और जीएगा।
जैसे सूर्य एक तारा है, वैसे ही ब्रह्मांड में अनगिनत तारे है, कुछ सूर्य के जैसे, कुछ सूर्य से बड़े और कुछ सूर्य से छोटे। तारों के एक झुण्ड को आकाशगंगा कहते है। ब्रह्मांड में अनगिनत आकाशगंगाएं है। हमारी आकाशगंगा को "मिल्की वे" कहा जाता है।






जब सूर्य बना था तब इसके कुछ अंश टूट कर दूर हो गए जिनसे ग्रह बने, जैसे की पृथ्वी ग्रह। ऐसे ही पृथ्वी के अंश से चाँद बना। अगर पृथ्वी को खोल के देखा जाये तो इसके अंदर भी आग का गोला है, जिसकी वजह से गुरुत्वाकर्षण होता है।


पृथ्वी, सूर्य का चक्कर लगाती रहती है और एक चक्कर ३६५ दिन में पूरा होता है जिसे हम साल कहते है, ऐसे ही चाँद पृथ्वी का चक्कर लगाता है जिसे हम महीना कहते है। पृथ्वी खुद भी गोल घूमती है और इसका एक चक्कर २४ घंटे का होता है, जिसे हम एक दिन कहते है। जब पृथ्वी का वो हिस्सा जहाँ हम रहते है, सूर्य के सामने होता है, उसे हम दिन कहते है और जब यह हिस्सा घूम जाता है और सूर्य सामने नही रहता, उसे हम रात कहते है। 

ब्रह्मांड में सब कुछ अणुओं (एटम) से बना है और अणु ऊर्जा (एनर्जी) से बना है। ऊर्जा कभी खत्म नही होती वो सिर्फ दूसरे रूप में तब्दील हो जाती है। अगर हम ऊर्जा के गुणों को परखे तो इसके गुण और भगवान के गुण एक समान है। जैसे, भगवान अमर है, भगवान अरूपा भी है और सर्व रूप संपन्न भी है, भगवान हर जगह विद्यमान है, भगवान अनाम है और भगवान के अनंत नाम है। इसी तरह ऊर्जा भी अमर है, ऊर्जा अरूपा भी है और सर्व रूप संपन्न भी है, ऊर्जा हर जगह विद्यमान है और सब कुछ ऊर्जा से ही बना है इसलिए जो भी अनाम है या जिसका कोई भी नाम है वो ऊर्जा ही है। हम भी ऊर्जा से ही बने है। लेकिन ऊर्जा को क्या रूप लेना है, इसमें यह ज्ञान कहाँ से आता है और कैसे आता है, यह आज भी एक रहस्य है।

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